जब याद उस कमब्ख्त की हो।

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सोचता हू कभी कभी,

क्यों कर रहा हू मैं इंतज़ार,

उस वक्त का, जो कभी आना ही नही।

क्यों उठता हू सुबह,

इस उम्मीद में, की आज वो दिन आएगा,

क्यों देखता हु सपने,

जिनमे तुम्हे हमसे प्यार हो जाएगा।

तुम्हारे साथ दुनिया घूमने के स्वप्न देखता हू,

पर दस कदम साथ चलने में घबराता हू।

आंखों आंखों में सब इज़हार कर देना चाहता हू,

पर मुह से बोलने में कतराता हु।

बस ये ही चाहता हु, की तुम्हारे चेहरे पर हर पल मुस्कुराहट हो,

चाहे तुम्हे हमसे कभी प्यार हो न हो।

मैं तो ठहरा बंजारा, ढूंढ ही लूंगा किनारा कही,

पर तुम जैसे मोती की कीमत,

समझ नही पाएगा हर व्यक्ति।

किस्मत पर शक होता है, जो तुम्हे जाने का मौका मिला,

पर उन कुछ ही पलों मे, अलविदा कहना पड़ा।

उस दिन से तुम्हारे जैसे ही किसी को तलाशने लगा।

हर जगह देखा, पर कोई तुम्हारी बराबरी का ना मिला।

तुम्हारी याद में मैंने शराब पी,

दोस्त ने पूछा, उसमे ऐसी क्या खूबी थी?

एक ही पल में इतने सारे ख्याल आये,

समझ न आया, किन शब्दों में दर्शाएं।

उम्मीद है, कभी फिर होगी मुलाकात,

इंतेज़ार करता रहूंगा, कभी तो होगा तुम्हे प्यार।

प्यार नही हुआ तो भी, मुझे घम तो नही,

क्योंकि मुझे विशवास् है,

कुछ साल बाद तुम अपने आप से पूछोगी, “मैं उससे कभी भूला क्यों न सकी?”

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