आज फिर मैंने दिल को मना लिया,
जो दर्द था, उससे अंदर छुपा लिया।
उसकी वजह से हुआ आज मुझे दर्द,
नहीं होनी चाहिए उससे इसकी खबर।
इस दर्द को छुपाने के लिए,
ले आया मैं चेहरे पे मुस्कुराहट।
मेरा चेहरा पढ़ लेती,
इसलिए करा मैंने मिलने से इंकार,
फोन पर भी रोक लिया आवाज़ को
करने से दर्द का इज़हार।
चाहा उसके लिए सिर्फ अच्छा,
पर मिला नहीं वापस लमुझे वो प्यार,
चांद तारे एक करके,
दिया मैंने खुद के दिल को मार।
दोस्ती ना टूटे,
इसलिए तोड़ डाला मैंने खुद को,
आश्चर्य होता है कि नहीं है हल्का सा भी अंदाज़ा उसको।
प्यार त्यागा, ताकि दोस्ती रहेगी,
वक़्त त्यागा, ताकि बातचीत रहेगी,
मौके त्यागे, ताकि साथ रहेगा,
और दिल त्यागा, ताकि वो रहेगी।
आज तुम्हे अलविदा बोलू,
या उन्न दिल के हज़ार टुकड़ों को,
जो तुम अपने साथ ले गई?